
करियर। आरक्षित वर्ग के सहायक शिक्षक भर्ती के लिए 6800 पदों पर होने जा रही भर्ती पर उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने रोक लगा दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा की 1 दिसम्बर 2018 को जारी विज्ञापन में 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इससे अधिक एक भी पदों पर भर्ती बिना विज्ञापन (UP Teacher Recruitment) निकाले नहीं की जा सकती। अदालत ने आगे की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डालते हुए कहा, की इससे आगे क्या करना है, यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। क्यूंकि उसी ने ऐसे हालात पैदा किये हैं, जिससे उक्त प्रकाशित विज्ञापन के क्रम में 69 हजार से अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्त नहीं की जा सकती है।
UP Teacher Recruitment
दरअसल 1 दिसंबर 2018 को सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए 69 हजार पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इस भर्ती प्रक्रिया के सम्पन्न होते ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। विरोध कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था की, उन्हें जितने अंक दिए गए थे, वह सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक थे। ज़्यादा अंक लाने के बावजूद उन्हें न चुनकर कम अंक अंक पाए अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। यह मामला कोर्ट में गया, जहां सरकार की तरफ से पेश महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा, की सरकार ने मामले पर फिर से विचार करने के बाद 6800 अभ्यर्थियों के नाम वाली अतिरिक्त नई चयन सूची जारी करने का निर्णय लिया है, जो आरक्षित श्रेणी के लिए है।
UP Teacher Recruitment
कोर्ट ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा की विज्ञापन में प्रकाशित 69 हजार पदों पर जब पहले से ही उम्मीदवारों की नियुक्ति की जा चुकी है, तो 6800 अभ्यर्थियों को किस पद पर नियुक्ति दी जाएगी। महाधिवक्ता के पास कोर्ट के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। जिसके बाद कोर्ट ने इस नियुक्ति पर रोक लगाने का निर्णय सुना दिया।
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